Session on "Excellence in Academics" for class 9th
26-Jun- 2023

*मिठी गोबिंदराम स्‍कूल के विद्यार्थियों हेतु आयोजित ‘’Excellence in academics’’ कार्यक्रम में श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी के अनमोल आशीर्वचन*   

परमहंस संत हिरदाराम साहिब जी के आशीर्वाद एवं श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी के मार्गदर्शन में शहीद हेमू कालानी एज्युकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित मिठी गोबिंदराम स्‍कूल में छात्रों में सदगुणों को विकसित करने के साथ-साथ उन्‍हें स्वस्थ रहते हुए व एकाग्रचित्त होकर पढ़ाई करने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्‍य से आज दिनांक 26 जून को ‘शैक्षणिक क्षेत्र में उत्‍कृष्‍टता’ (’Excellence in academics) कार्यक्रम आयोजित किया गया। 
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रद्धेय सिद्ध भाऊ जी ने संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब जी के मानवीय संदेश को समाज में प्रसारित करने एवं समाज को संवेदनशील स्वरूप प्रदान करने हेतु सेवा-भाव, समर्पण, परित्याग, एवं सभी जीवों के प्रति आत्मीयता के भावों का संदेश दिया। उन्‍होंने निन्‍दा रस से दूर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हमें बुरी आदतों व विचारों से दूर रहना चाहिये। सभी को हमेशा अपने प्रति सजग रहना चाहिये। दूसरो के दोषों पर ध्‍यान न देकर केवल सदगुणो को आत्‍मसात करना चाहिये है, परम् सत्‍ता एक है हमेशा उसका ध्‍यान व स्‍मरण करें। उन्‍होंने कहा कि आप जब पढ़ाई कर रहे हैं तो निश्चित ही आप सभी का जीवन में कुछ बनने का सपना होगा। इस हेतु आप जो भी व्यवसाय चुनें उसमें विशेषज्ञ बनने के प्रयास करें। अपने मन के कहने पर न चलकर, विवेक से काम लें। मन को एकाग्रचित्त करने के लिए ध्यान, योग व प्राणायाम करें। पढ़ाई में ध्यान लगाने हेतु मन का निर्मल होना अत्यंत आवश्यक है। जिस विषय में आपकी रूचि हो उसी विषय को चुने और उसमें अपना कैरियर बनाएँ। अपने शिक्षकों के प्रति श्रद्धा व विश्वास का भाव रखकर कृतज्ञ रहें। प्रातः काल जल्दी उठने की आदत डालें क्योंकि सुबह के समय हमारा दिमाग स्पंज की भांति होता है तथा पढ़ा हुआ हमेशा याद रहता है। उन्‍होंने कहा कि हमें पशु पक्षियों को दाना-पानी देना चाहिये इससे हमारी बुद्धि सात्विक होती है। यदि आप सुबह बिना कुछ खाए-पिए पशु- पक्षियों को दाना-पानी देंगे तो उनका मूक आशीर्वाद आपको प्राप्‍त होगा जो आपको अपने जीवन में सफलता की ओर ले जाएगा।
अनाज को अंकुरित करने की विधि विस्तार पूर्वक बताते हुए उन्‍होंने कहा कि अंकुरित गेहूं विद्यार्थियों के लिए सबसे अच्छा होता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट्स, मैग्निशियम, बी कॉम्प्लेक्स, एवं फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आजकल बाज़ार में मिलने वाले फल- सब्जियों को केमिकल्स के द्वारा पकाया जाता है इसलिए ये हमारे लिए हानिकारक होते हैं।  अतः आप अमृततुल्य अंकुरित अनाज का सेवन करें। रात के समय नारियल खाएँ व दोपहर के भोजन के साथ प्याज का सेवन करें। आपने अपने वक्तव्य में अच्छे भोजन की तीन कसौटियाँ बताते हुए कहा कि भोजन स्वादिष्ट , पौष्टिक व सुपाच्य हो। विवाह- या अन्‍य समारोहों  परोसो जाने वाले तथा बाहर के खाने का त्याग करें तथा अपने घरों में पौष्टिक साग सब्जि़यों का उत्पादन करें जिसमें हरी मिर्ची, धनिया इत्‍यादि को लगाकर स्‍वस्‍थ आहार का सेवन करें।     घर में माँ के हाथ का बना भोजन ग्रहण करें क्योंकि माँ साफ-सफाई व स्नेह भाव के साथ भोजन बनाती है। माँ अपनी नींद व सभी सुखों को त्याग कर, कष्ट सहन करके आपका पालन-पोषण करती है, प्यार से देखभाल करती है इसलिए अपनी माँ का कहना सदैव माने।  उन्हें अपनी सारी बातें बताएँ 
 स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम, योग ,रस्सी कूद व अन्‍य  खेलों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इसी कड़ी में आपने आरती का महत्व बताते हुए कहा कि प्रभु के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए प्रतिदिन आरती करें। भगवान हमेशा हमारे साथ रहते हैं तथा हमें हर मुसीबत से बचाकर सही दिशा दिखाते हैं। आरती करने से हमारा ईश्वर के साथ गहरा संबंध बनता है और वे हमारी रक्षा करते हैं।
उन्‍होंने विद्यार्थयों को परामर्श दिया कि वे राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की जीवनी पढ़ें तथा उनके आदर्श गुणों इमानदारी, नम्रता पूर्ण व्यवहार एवं कर्तव्य निर्वहन की भावना को अपनाएँ।
छात्रों द्वारा स्‍वयं के लिए बनाई गई समय-सारणी की चर्चा करते हुए कहा कि आप स्वयं के साथ ईमानदार रहते हुए इस समय-सारणी का नियमित रूप से पालन करेंगे तो आपकी संकल्प-शक्ति दृढ़  होगी। उन्‍होंने स्‍वस्‍थ श्रवण, स्‍वस्‍थ दृश्‍य, ज्ञानवर्धक पुस्‍तकों को विचारों का पोषक बताते हुए छात्रों को स्‍वस्‍थ जीवन शैली अपनाने हेतु अभिप्रेरित किया। 
अंत में आपने कहा कि आपके जीवन का लक्ष्य सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं अपितु सेवा कार्य करना भी है। आपका संपूर्ण जीवन सुख-समृद्धि व सम्मान के साथ बीते एवं आप मनचाहे उच्च पद प्राप्त करते हुए उन्नति करें, इसके लिए सद्गुणों को अपनाते हुए अपनी क्षमता को पहचाने और उसका सदुपयोग करें।
सत्र में संस्था के सचिव श्री ए.सी. साधवानी जी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि आज का यह विशेष सत्र आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। आपने विद्यार्थियों से कहा कि अध्ययन में पुनः अभ्यास बहुत आवश्यक है । यदि हम किसी भी बात का बार-बार अभ्यास करते हैं तो हम उसे भूलते नहीं हैं। अतः आप आज के सत्र में बताई गई बातों को लिखने के साथ-साथ, इन्हें आत्मसात कर जीवन में भी अपनाएँ। 
इस कार्यक्रम में सोसाइटी के  सचिव श्री ए.सी. साधवानी एवं स्‍कूल के प्राचार्य श्री अजय बहादुर सिंह व शिक्षक-शिक्षकाएं उपस्थित रहे।  
कार्यक्रम का सफल संचालन शिक्षिका सुश्री शानि नाथ ने किया तथा कक्षा नवीं के छात्र कृष्‍ण सदारंगानी द्वारा आभार किया गया।
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