संत हिरदाराम साहिब जी के 17वें ‘‘महाप्रयाण दिवस’’ श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन
21-Dec- 2022
संत हिरदाराम साहिब जी के 17वें ‘‘महाप्रयाण दिवस’’ श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन

दिनांक 21 दिसम्बर 2022 को मानवता के पुजारी, कर्मयोगी, ब्रह्मलीन परमहंस संत हिरदाराम साहिबजी का ‘‘महाप्रयाण दिवस’’ शहीद हेमू कालानी एजूकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित मिठ्ठी गोबिन्दराम पब्लिक स्कूल में पूर्ण श्रद्धा, विश्वास, सेवा-प्रण एवं आस्था के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को परमहंस हिरदाराम साहिब जी के असाधारण व्यक्तित्व, उनके जीवन आदर्शों तथा सिद्धांतों से परिचित कराना तथा इन सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से आत्मसात करना रहा।

संतजी के प्रिय शिष्य तथा संस्थान के प्रेरणापुरूष श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी ने अपने प्रेषित संदेश में कहा कि हमारे मानव जीवन की सार्थकता तभी है जब हम प्राणीमात्र के प्रति कल्याण की भावना रखते हुए, मानवीय मूल्यों से युक्त होकर दया, परोपकार, परसेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाएँ। यही हमारे द्वारा संत साहिब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने परमहंस संतजी का संदेश देते हुए बताया कि जीवन में दुख दर्द दूर करने और असीम आनंद की प्राप्ति हेतु समस्त प्राणियों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें, दीन-दुखियों की यथा-शक्ति सेवा करें, किसी का भी दिल न दुखाएं, बच्चों में पावन संस्कारों को विकसित करें, परिवार के सभी सदस्य आपस में संवाद किया करें, किसी से शत्रुता न रखें, बुरे व्यक्ति से भी अच्छा व्यवहार करें, क्षमा की प्रवृति रखें और प्रतिदिन कुछ समय निकालकर प्रभु का ध्यान करें। इससे आपके मन को चिरस्थाई शांति प्राप्ति होगी और आपका हर क्षेत्र में उत्थान होगा।

संस्था सचिव श्री ए.सी साधवानी जी ने अपनें सम्प्रेषित उद्बोधन में शहीद हेमू कालानी एज्युकेशनल सोसायटी की ओर से ब्रम्हलीन परमहंस संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब जी को आत्मिक श्रद्धांजलि ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रभु चरणों में लीन, मानवता में आस्था रखने वाले तथा सद्गुणों को व्यवहार में लाने वाले सेवक देवतुल्य हो जाते हैं।
संस्था अकादमिक डायरेक्टर श्री गोपाल गिरधानी जी ने कहा कि संत जी के बारे में कहा कि सन्त पुरूष कालजयी होेते है उनकी कभी मृत्यु नही होती है वे पथ प्रदर्शक होते है उन्हांेने संत जी के सूत्र वाक्य ‘‘बूढे़-बच्चे और बीमार हैं परमेश्वर के यार, करो भावना से इनकी सेवा, पाओगे लोक-परलोक में सुख अपार’’। को अपने जीवन में आत्मसात हेतु प्रेरित किया।

संस्था के प्रशासनिक अधिकारी श्री भगवान बाबानी जी ने कहा कि स्वामी जी ने मानव सेवा के रूप में ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बताया। आज के बच्चे अगर आज को संभाले वे जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। अगर बच्चे स्वामी जी के गुणों को अपने जीवन में अपनाते है तो वे प्रगति के पथ पर अग्रसर होंगे।

विद्यालयीन प्रभारी प्राचार्य श्रीमती आशा चंगलानी ने अपने वक्तव्य में ब्रह्मलीन संत साहिब जी के आदर्शमय व्यक्तित्व को उल्लेखित करते हुए कहा कि समाज के वास्तविक उद्धारक संत ही होते हैं। संतों की उपस्थिति से ही नैतिक मूल्य स्थायित्व पाते हैं। आज के इस दिवस पर हमें उनके जीवन आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए आगे उन्होंने कहा कि ‘‘सुख चाहो तो सुख दो, सुख चाहो तो दुख मत दो’’ के सूत्र वाक्य को अपने जीवन में अपनाने हेतु प्रेरित किया। हमारा जीवन पैसे से धनवान नहीं होता बल्कि आशीर्वाद मिलने से सार्थक होता है। उन्होंने आगे अपने वक्तव्य में कहा कि जब हम संत जी के आदर्शो एवं सात्विक विचारों एवं नैतिक मूल्यो को सभी विद्यार्थी को अपने जीवन में अपनाएँगे, शिक्षकों एवं सभी बड़ो का सम्मान करेंगे तभी वे अच्छे नागरिक बनेंगे।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में विद्यालय की शिक्षिकाओ द्वारा रामधुन का गायन मधुर स्वर में किया गया, इसी तारतम्य में संतजी के अनमोल वचन के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया तथा कक्षा छठवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को संतजी के जीवन पर आधारित डॉक्यमेंट्री मूवी दिखाई गई। कक्षा तीसरी के विद्यार्थियो ने भी मनमोहक समूह ज्ञान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की सुंदर रूपरेखा का प्रारूपण संगीत विभाग की वरिष्ठ शिक्षिका श्रीमती सीमा तारे, श्री भूपेश पाठक एवं श्रीमती सुश्री योग्यता शर्मा द्वारा बनाई गई। श्रीमती रानी सिंह द्वारा भी संत जी के महान व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया, कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती कीर्ति राजपूत द्वारा किया गया।



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